Johar Live Desk : शरद पूर्णिमा 06 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है, जिसे कुमारा पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा, नवाना पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है और इसे मानसून के अंत और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
इस बार शरद पूर्णिमा पर भद्रा और पंचक का योग बन रहा है। भद्रा आज दोपहर 12:23 बजे शुरू होगी और रात 10:53 बजे समाप्त होगी। पंचक का प्रभाव 8 अक्टूबर तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। इस दिन स्नान, दान और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त रात में जागरण करते हैं और चांद की रोशनी में खीर रखते हैं। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं, जो आत्मा और शरीर को शांति देती हैं।

चांद की रोशनी में खीर रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा को साल की सबसे शुभ पूर्णिमा माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि चंद्रमा इस दिन पृथ्वी के सबसे करीब होता है और उसकी किरणें उपचार गुणों से भरी होती हैं। इसीलिए रात भर चावल की खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है और सुबह इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। अगर खीर न बन पाए, तो कोई मीठी चीज भी चांद की रोशनी में रखी जा सकती है।
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