Johar Live Desk : शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर छठे दिन मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी को वरदायिनी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, सच्चे मन और अटूट भक्ति से की गई पूजा से मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि लाती हैं।
मां कात्यायनी का स्वरूप
धर्मग्रंथों के अनुसार, मां कात्यायनी पीले वस्त्र धारण करती हैं, जो स्वर्ण के तप के बाद उत्पन्न उनके वास्तविक स्वरूप का प्रतीक है। मां की चार भुजाओं में एक में तलवार, दूसरे में कमल का फूल, तीसरे में वर मुद्रा और चौथे में अभय मुद्रा होती है। मां सिंह पर सवार होकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। पूजा में पीले फूल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। । भक्त पीले वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं, जिससे मां की विशेष कृपा मिलती है।
पूजा विधि और सामग्री
मां कात्यायनी को केला, केले से बनी मिठाई और केसर-भूरी शक्कर वाली खीर का भोग बहुत प्रिय है। इस भोग से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पंडित अनुपम महराज बताते हैं कि जिन युवतियों का विवाह नहीं हो रहा, उन्हें छह हल्दी की गांठ, पान का पत्ता और नारियल के साथ मां की पूजा करनी चाहिए। इससे छह महीने में विवाह की संभावना बनती है। मंत्र जाप के साथ मां की भक्ति से जीवन में सफलता और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मां कात्यायनी के मंत्र
- मुख्य मंत्र : कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
- स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां कात्यायनी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी, जय जग माता जग की महारानी…
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहांवर दाती नाम पुकारा…
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की…
जो भी मां को भक्त पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
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