
Jamshedpur : सारंडा संरक्षण अभियान के संयोजक और जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को झारखंड सरकार से अपील की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सारंडा सघन वन क्षेत्र को शीघ्रातिशीघ्र सैंक्चुअरी घोषित किया जाए। उन्होंने इसे सरकार की ओर से दुर्भाग्यपूर्ण और गम्भीर अनदेखी करार दिया।
सरयू राय ने कहा कि 858.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले सारंडा सघन वन के 575.19 वर्ग किलोमीटर को वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी और 136.03 वर्ग किलोमीटर को कंजर्वेशन रिज़र्व घोषित करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ है। उनका कहना है कि सरकार सतह के नीचे स्थित लौह-अयस्क के खनन को प्राथमिकता दे रही है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के संरक्षण को खनन या उद्योगों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने अवैध खनन की कई पुरानी रिपोर्टों का हवाला दिया, जिनमें जस्टिस एमबी शाह आयोग (2010), समन्वित वन्यजीव प्रबंधन योजना समिति (2011), भारत सरकार की कैरिंग कैपेसिटी स्टडी (2014) और मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग शामिल हैं। इन रिपोर्टों में सारंडा क्षेत्र में खनन की सीमा और वन्य जीव तथा जैव विविधता के संरक्षण पर बल दिया गया था।
सरयू राय ने यह भी कहा कि झारखंड राज्य वन्यजीव परिषद में विशेषज्ञों की कमी और मुख्यमंत्री की बैठक में अल्पकालिक उपस्थिति ने निर्णय प्रक्रिया को कमजोर किया। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया कि सचिव, वन एवं पर्यावरण की ओर से 24 जून को सर्वोच्च न्यायालय में दिया गया आश्वासन पूर्ण करते हुए आठ अक्टूबर से पहले सारंडा सघन वन को सैंक्चुअरी घोषित करें।
सरयू राय ने स्पष्ट किया कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो सर्वोच्च न्यायालय सरकार के उच्च अधिकारियों पर क़ानूनी कार्रवाई करने के विकल्प को लागू कर सकती है। उनका मानना है कि पर्यावरण संरक्षण की यह जिम्मेदारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।