Dhanbad : झारखंड के धनबाद में बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड मामले में आज विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा। संजीव सिंह के अधिवक्ता मो. जावेद ने कहा कि रघुकुल वालों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये संजीव सिंह को जेल भेजने का काम किया है। कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब आठ साल का हिसाब होगा।
बता दें कि यह मामला 21 मार्च 2017 की उस भयावह शाम से जुड़ा है, जब धनबाद के सरायढेला इलाके में पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह, उनके अंगरक्षक मुन्ना तिवारी, ड्राइवर घोल्टू महतो और सहयोगी अशोक यादव की गोलियों से भून डाला गया था। हमलावरों ने नीरज सिंह का कार पर सैकड़ों राउंड फायरिंग की थी। पुलिस के अनुसार, चार शूटरों ने 9 एमएम पिस्टल से गोलियां चलाईं और मैगजीन बदलकर दोबारा फायरिंग की थी। हत्या के बाद एक शूटर नीरज सिंह की सीट तक गया और उनकी गर्दन पर एक और गोली मारी, ताकि कोई बचने की संभावना न रहे। नीरज सिंह की मौके पर ही मौत हो गई।
समर्थकों ने लगाये ‘संजीव सिंह जिंदाबाद’ के नारे
धनबाद कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। भारी पुलिस बल तैनात था। संजीव सिंह के समर्थकों की भारी भीड़ कोर्ट के बाहर जुटी थी। जैसे ही कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करने की घोषणा की, समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। “संजीव सिंह जिंदाबाद” के नारे गूंजने लगे और मिठाइयां बांटी गईं।
संजीव अब फिर से जनता की सेवा में जुटेंगे : रागिनी सिंह
संजीव सिंह की पत्नी और झरिया की वर्तमान बीजेपी विधायक रागिनी सिंह ने कहा, “हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। आज असत्य पर सत्य की जीत हुई है। संजीव अब फिर से जनता की सेवा में जुटेंगे।”
हाई कोर्ट की शरण में जायेंगे अभिषेक सिंह
सभी आरोपियों को बरी कर देने के बाद नीरज सिंह के समर्थकों में नाराजगी और निराशा देखी गई। नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने इस फैसले को नकारा है। उन्होंने कहा कि वे हाई कोर्ट की शरण में जायेंगे और आखिरी तक लड़ेंगे।
चार्जशीट में क्या था?
पुलिस की चार्जशीट में कई नाम सामने आए थे। चार्जशीट के अनुसार, हत्या की योजना में मेंशन और कैमूर में कई बैठकें हुईं। शूटरों को धनबाद बुलाया गया, उन्हें पनाह दी गई और घटना के बाद फरार होने में मदद की गई।
- संजीव सिंह (पूर्व विधायक, झरिया) – मुख्य आरोपी, परिवारिक और राजनीतिक रंजिश।
- धनंजय सिंह उर्फ धनजी सिंह – विधायक का बॉडीगार्ड, हत्या की योजना और रेकी में भूमिका।
- डब्लू मिश्रा (मृत्युंजय मिश्रा) – शूटरों को ठिकाना व सामान उपलब्ध कराया।
- संतोष – फर्जी आईडी से सिम लेकर संपर्क कड़ी का काम किया।
- पंकज सिंह (सुल्तानपुर) – मुन्ना बजरंगी ग्रुप का शार्प शूटर, सुपारी ली और वारदात को अंजाम दिया।
- पिंटू सिंह उर्फ जैनेन्द्र सिंह – हत्या की योजना की पूरी जानकारी थी, शूटरों को भगाने में मदद की।
- संजय सिंह – विधायक का करीबी, योजना की जानकारी और शूटरों की ठहरने की व्यवस्था की।
- अन्य आरोपी – सतीश सिंह, कुर्बान अली, सागर सिंह और अमन सिंह (शूटर)।
कोयला कारोबार और सियासी वर्चस्व को लेकर चली थी गोलियां
नीरज सिंह और संजीव सिंह चचेरे भाई थे और एक ही राजनीतिक परिवार से आते थे। कोयला कारोबार और सियासी वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच लंबे समय से तनाव था। 2017 में हुई इस हत्या ने पूरे धनबाद को हिला दिया था। संजीव सिंह उसी साल जेल गए थे और हाल ही में 8 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी। इस फैसले ने धनबाद की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। एक पक्ष इसे न्याय की जीत मान रहा है, तो दूसरा इसे न्याय से चूक।
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