Kolkata: इस वर्ष गणेश चतुर्थी 26 और 27 अगस्त को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि गणेशोत्सव के दिनों में गणेशतत्त्व सामान्य दिनों की तुलना में सहस्र गुना अधिक सक्रिय रहता है। इस दौरान गणेश पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।
सनातन संस्था की सदस्य बबीता गांगुली ने बताया कि यह व्रत सिद्धिविनायक व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यदि परिवार संयुक्त रूप से रहता है तो एक ही मूर्ति की स्थापना पर्याप्त है, जबकि अलग-अलग रसोई या गृहस्थी होने पर प्रत्येक घर में अलग स्थापना करनी चाहिए।
विशेषज्ञों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर हर वर्ष नई मूर्ति स्थापित करने का विधान है। पुरानी मूर्ति में आवाहन किए जाने पर वह अत्यधिक शक्तिशाली हो जाती है, जिसकी वर्षभर उचित पूजा करना कठिन माना जाता है। इसी कारण विसर्जन के बाद अगली बार नई मूर्ति ही लाई जाती है।
शास्त्रानुसार गणेशमूर्ति चिकनी मिट्टी की, लगभग डेढ़ फुट ऊंची और प्राकृतिक रंगों से रंगी होनी चाहिए। प्लास्टर ऑफ पेरिस और कागज से बनी मूर्तियां शास्त्रविरोधी तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक मानी जाती हैं।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को प्राणप्रतिष्ठा कर गणेश पूजन किया जाता है। शास्त्र में उसी दिन विसर्जन का उल्लेख है, लेकिन परंपरा के अनुसार भक्त गणपति को डेढ़, पाँच, सात या दस दिन तक विराजमान रखते हैं। विसर्जन के समय दही, पोहे, नारियल और मोदक अर्पित कर मूर्ति का जल में विसर्जन किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है। यदि भूलवश चंद्र दर्शन हो जाए तो स्यमंतक मणि की कथा का श्रवण करना चाहिए। साथ ही ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित मंत्र का जप करने से दोष दूर होता है।
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