Ranchi (संध्या कुमारी) : झारखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में आज भी पानी के लिए महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। काफी मेहनत के बाद पीने और खाने के लिए महिलाएं पानी जुटा पाती है। कभी-कभी हाल तो यूं बन पड़ता है कि अगर दिन में पानी की व्यवस्था न हो तो रात के अंधेरों में महिलाओं को डांडी पर पानी भरने के लिए जाना पड़ता है। विकास का लाख दावा कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
जी हां, यह हाल है सिल्ली प्रखंड के ठुंगरुडीह और हेसाडीह गांव का। आजादी के 75 वर्षों बाद भी पानी और बिजली की समस्याओं से ग्रामीण जूझ रहे है। ठुंगरुडीह के उपर टोला में लोग डांड़ी (खेतों में गड्ढों से निकलने वाला पानी) का पानी पीने को मजबूर हैं, क्योंकि वहां बिजली और पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी तरह, हेसाडीह में 60 परिवारों को पीने के पानी के लिए कोचा नदी के दुर्गम रास्तों से होकर खार कांचा सोतिया जाना पड़ता है, जहां महिलाएं धीरे-धीरे पानी जमा करती हैं।
इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण ग्रामीणों का जीवन कठिनाइयों से भरा है। सरकार की योजनाएं, जैसे जल जीवन मिशन, कई क्षेत्रों में लागू हो रही हैं, लेकिन इन गांवों तक इनका लाभ नहीं पहुंच पाया है। उदाहरण के लिए, जल जीवन मिशन ने छत्तीसगढ़ के कुछ गांवों में हर घर जल का लक्ष्य हासिल किया, लेकिन सिल्ली जैसे क्षेत्र अभी भी उपेक्षित हैं।
ठुंगरुडीह गांव के उपर टोला में लगभग 40 परिवारों की आबादी है। यहां पेयजल की आपूर्ति के लिए वर्ष 2020 में सोलर जलमिनार स्थापित किया गया था, लेकिन वह पिछले पांच महीनों से खराब पड़ा है। इसके अलावा, जल नल योजना के तहत एक और जलमिनार का निर्माण कार्य पिछले एक वर्ष से अधूरा पड़ा है। इस कारण, ग्रामीणों को डांड़ी (डोभा) से पानी लाकर पीने को विवश होना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में कुंए का जलस्तर भी काफी नीचे चला जाता है, जिससे यह पानी भी उपयोग के लायक नहीं रहता।
हेसाडीह गांव में 60 घरों के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। महिलाएं बताती है कि वह दूर-दराज के कोचा नदी के खार कांचा सोतिया से पानी लाती हैं। वहां से पानी धीरे-धीरे इकट्ठा करके घर लाती हैं, जिसका उपयोग वे पीने के लिए करती हैं। वहीं, सोतिया के निचले हिस्से के पानी में लोग स्नान करने और कपड़े धोने का काम करते हैं। गांव में जल संकट की स्थिति गंभीर है।
सिल्ली प्रखंड में विभागीय लापरवाही के कारण 197 जलापूर्ति योजनाओं का कार्य ठप हो गया है, जिससे डेढ़ लाख की आबादी केवल 71 योजनाओं पर निर्भर है। इसके अलावा, कई चापाकल भी खराब पड़े हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आवश्यक अनुदान की कमी के कारण योजनाओं का कार्य प्रभावित हुआ है, लेकिन जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
ठुंगरुडीह और हेसाडीह गांवों में जल संकट और बिजली की समस्या ग्रामीणों के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। सरकार और संबंधित विभागों से अपेक्षित है कि वे शीघ्र इन समस्याओं का समाधान करें, ताकि ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।
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