Khunti : चाईबासा के सदर अस्पताल में एचआईवी संक्रमित खून थैलेसीमिया मरीजों को लगाने के बाद राज्य के स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठे हैं। इसी बीच खूंटी जिले में भी सदर अस्पताल में बगैर लाइसेंस ब्लड बैंक संचालित हो रहा है। हालांकि, सिविल सर्जन ने दावा किया है कि लाइसेंस रिन्युअल के लिए आवेदन किया गया है, और सरकार की मंजूरी के बाद जल्द ही इसे वैध कर दिया जाएगा।
खून की कमी से गंभीर हालात
आदिवासी बहुल खूंटी जिले में 65 से अधिक थैलेसीमिया और एनीमिया के मरीज हैं। रोजाना 10 यूनिट से अधिक खून की खपत होती है। सबसे ज्यादा खून सिकलसेल, थैलेसीमिया और एनीमिया के मरीजों को दिया जाता है, उसके बाद गर्भवती महिलाएं और अन्य ऑपरेशन में उपयोग होता है। जिले में रोजाना 500 से अधिक मरीज मलेरिया, टाइफाइड, सर्दी-खांसी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल आते हैं।
ब्लड बैंक में जांच की जाती है पूरी प्रक्रिया
सिविल सर्जन नागेश्वर मांझी ने बताया कि जिले के एकमात्र ब्लड बैंक में ब्लड को रेफ्रिजरेटर में सुरक्षित रखा जाता है। डोनेट किए गए खून की पूरी जांच की जाती है। जांच में मलेरिया, एचआईवी, फाइलेरिया, हेपेटाइटिस A, B, C, डायबिटीज जैसी बीमारियों का परीक्षण शामिल है। ब्लड बैंक में स्टैंडर्ड मशीन के जरिए ही जांच की जाती है, ताकि मरीजों को सुरक्षित खून उपलब्ध कराया जा सके।

मरीजों की हालत चिंताजनक
सिविल सर्जन ने बताया कि कई मरीजों में सिर्फ 5 से 7 ग्राम खून ही बचा होता है। जिले में खून की सबसे ज्यादा खपत ऑपरेशन, सिकलसेल, थैलेसीमिया, एनीमिक मरीजों और गर्भवती महिलाओं के लिए होती है।
लाइसेंस रिन्यूअल में देरी
सदर अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसेंस फरवरी से रिन्यूअल प्रोसेस में है। सिविल सर्जन ने कहा कि ऑनलाइन आवेदन सबमिट कर दिया गया है और सरकार ने आश्वासन दिया है कि एक सप्ताह में लाइसेंस रिन्यू कर दिया जाएगा। फिलहाल, ब्लड बैंक बगैर लाइसेंस ही संचालन कर रहा है, ताकि मरीजों की खून की जरूरत पूरी हो सके।
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