Patna : बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा में रही है। इस सीट पर करीब 30 साल से बाहुबली नेता अनंत सिंह का दबदबा रहा है। अब दुलारचंद यादव हत्याकांड में अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद इलाके की सियासत फिर गर्मा गई है।शनिवार की देर रात पटना पुलिस ने जेडीयू के विवादित नेता अनंत सिंह को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के तुरंत बाद बिहार की राजनीतिक गलियों में हलचल मच गई और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मोकामा की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है।
दिलीप सिंह से शुरू हुई परिवार की सियासी विरासत
अनंत सिंह चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके परिवार की राजनीतिक शुरुआत उनके बड़े भाई दिलीप सिंह ने की थी। दिलीप सिंह ने 1985, 1990 और 1995 में मोकामा से लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते थे। 2000 में उनकी टक्कर बाहुबली नेता सूरजभान सिंह से हुई, जिसमें उन्हें हार मिली। इसके बाद 2005 में अनंत सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब से लेकर 2020 तक मोकामा सीट पर उनका दबदबा कायम रहा।
विवादों और आपराधिक मामलों में घिरे रहे अनंत सिंह
अनंत सिंह का राजनीतिक सफर कई विवादों और आपराधिक मामलों से जुड़ा रहा है। 2022 में एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। इसके बाद उनकी पत्नी नीलम देवी ने राजद के टिकट पर मोकामा उपचुनाव जीता और वर्तमान में वह मोकामा की विधायक हैं।

अब बेटे संभाल सकते हैं राजनीतिक विरासत
अनंत सिंह के जुड़वा बेटे अंकित सिंह और अभिषेक सिंह दिल्ली में रहते हैं और पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट हैं। हाल ही में बेटे ने कहा था, “फिलहाल पापा मोकामा की जनता की सेवा कर रहे हैं। अभी मेरी उम्र नहीं है, लेकिन मौका मिला तो मैं भी जनता की सेवा करूंगा।” अब पिता की गिरफ्तारी के बाद माना जा रहा है कि बेटे अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ा सकते हैं।
मोकामा की राजनीति में बढ़ी प्रतिस्पर्धा
मोकामा सीट लंबे समय से बाहुबली राजनीति और परिवारवाद की छवि लिए हुए है। अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह सीट 2025 के चुनाव में और भी रोचक और प्रतिस्पर्धी बन गई है। विपक्षी दल इस स्थिति का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि एनडीए और राजद दोनों ही इस सीट पर अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
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