एक आईएएस की कहानी , जिसकी सत्ता में बोलती थी तूती, मनी लॉन्ड्रिंग केस में गया जेल

झारखंड कैडर के सेवानिवृत आईएएस अधिकारी डॉ प्रदीप कुमार और उनके सगे भाई राजेंद्र कुमार को ईडी की विशेष अदालत ने 3 जून को जेल भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 1.76 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सभी आरोपियों को सक्षम अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया था। प्रदीप कुमार के सहयोगी श्यामल चक्रवती ने भी इस मामले में पूर्व में सरेंडर किया था।
सत्ता में बोलती थी डॉ प्रदीप की तूती
1991 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ प्रदीप की सत्ता में तूती बोलती थी। रांची के डीसी रह चुके डॉ प्रदीप की एक बड़े राजनीतिज्ञ से करीबी रही। स्वास्थ्य सचिव के पद पर रहने के दौरान दवा खरीद घोटाले में उनकी और उनके करीबियों की भूमिका रही। सीबीआई ने इस मामले में डॉ प्रदीप को गिरफ्तार किया था। लंबे वक्त तक वह इस मामले में जेल में बंद रहे। जेल से छूटने के बाद रघुवर सरकार ने डॉ प्रदीप को कई प्रमंडलों में कमिश्नर का प्रभार दिया था। डॉ प्रदीप दुमका के कमिश्नर पद से पिछले साल रिटायर हुए।
संपति भी हुई है जब्त
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत डॉ प्रदीप कुमार और उनके करीबियों की रांची, उदयपुर, कोलकाता और बेंगलुरु की संपत्ति जब्त की थी। इन संपत्ति का रजिस्ट्री मूल्य करीब दो करोड़ रुपये के करीब था। जबकि बाजार मूल्य 10 करोड़ रुपये बतायी जाती है। ईडी ने झारखंड में पहली बार किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की संपत्ति जब्त मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत जब्त की गयी थी।
कैसे आये मनी लाउंड्रिंग के दायरे में
प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में पाया गया था कि डॉ प्रदीप कुमार ने अपने भाई राजेंद्र कुमार, सीए नीरज केजरीवाल, दो व्यापारी श्यामल चक्रवर्ती और धर्मेंद्र कुमार धीरज के साथ मिलीभगत कर मनी लाउंड्रिंग की। डॉ प्रदीप से काम कराने के एवज में श्यामल चक्रवर्ती ही रिश्वत की वसूली करता था। उस राशि को चल-अचल संपत्ति में निवेश करता था। डॉ प्रदीप ने रिटर्न फाइल करने के लिए एचयूएफ (हिंदू अनडिवायडेड फैमिली) बनाया। इसका सर्वेसर्वा अपने छोटे भाई राजेंद्र कुमार को बना दिया। इसके बाद एचयूएफ के माध्यम से फिक्स्ड डिपोजिट, इंदिरा विकास पत्र और किसान विकास पत्र में निवेश किया। श्यामल चक्रवर्ती और राजेंद्र ने पार्टनरशिप में एक फाॅर्म मेसर्स एसअार इंटर पार्टनर बनाया। इसके जरिये डॉ प्रदीप कुमार ने रिश्वत की राशि का निवेश किया। सीबीआइ ने इन धाराओं में दर्ज किया था मामला
सीबीआइ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में हुए घोटाले में डॉ प्रदीप कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 15 और आइपीसी की धारा 120बी, 420, 467 और 471 के तहत रांची में मामला दर्ज किया था। कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कहा था कि आइएएस डॉक्टर प्रदीप कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी राशि का गबन किया। साथ ही आय से अधिक संपत्ति भी अर्जित की। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी डॉ प्रदीप कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी।
रांची व पटना में रह चुके हैं डीसी
डॉ प्रदीप कुमार 1991 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। वह एकीकृत बिहार में पटना के डीसी रह चुके हैं। इसके अलावा वह रांची के डीसी भी रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में हुए घोटाले में डॉ कुमार को रांची के बिरसा केंद्रीय कारा में भी लंबे समय तक रहना पड़ा था।

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